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वार्षिक साधना शिविर

परिचय

‘जागो, खाओ, काम करो, कमाओ, खर्च करो और सो जाओ। फिर दोहराओ।’ हमारा जीवन इसी अनंत चक्र का हिस्सा है। जितना अधिक हम कमाते हैं, उतना ही अधिक खर्च करते हैं। एक इच्छा की पूर्ति नई इच्छाओं को जन्म देती है और हम कभी संतुष्ट नहीं होते। किसी समय हम रुककर सोचते हैं – हम यह सब क्यों कर रहे हैं, इसका उद्देश्य क्या है, और क्या यही जीवन भर हमें करते रहना चाहिए? अक्सर हम अपने आस-पास के लोगों से सुनते हैं कि काश वे सब कुछ छोड़कर कहीं और चले जाते, जहाँ उन्हें जीवन की इस निरर्थक दिनचर्या से मुक्ति मिलती। तेज़-तर्रार, अव्यवस्थित, मांगलिक, कठिन और थकाऊ जीवन लगातार चलता रहता है, और हम इसमें ऐसे फंस जाते हैं जैसे एक असहाय जहाज़ किसी उग्र समुद्री भँवर में – बाहर निकलने के योग्य नहीं।

उद्देश्य

इस असहायता को ध्यान में रखते हुए, ब्रज गोपिका सेवा मिशन के संस्थापक पूज्यनीय रासेश्वरी देवी जी और स्वामी युगल शरण जी ने वार्षिक साधना शिविर (Annual Sadhana Shivir - ASS) आयोजित करने का अद्वितीय विचार प्रस्तुत किया। इन शिविरों का उद्देश्य था जीवन के इस अविरत आत्मा खींचने वाले चक्र से बाहर निकलने का मार्ग दिखाना।

देवी जी और स्वामी जी का उद्देश्य था कि सभी को जीवन का वास्तविक अर्थ और उद्देश्य समझने का अवसर मिले, अपने जीवन के सच्चे लक्ष्य को पहचानें, उस लक्ष्य को प्राप्त करने के साधन जानें और इसे व्यावहारिक रूप से सीखने का तरीका जानें।

ये शिविर कलियुग के ५वें जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालु जी महाराज की दर्शनिक शिक्षाओं के इर्द-गिर्द घूमते हैं। शिविर के दौरान, सैद्धांतिक शिक्षा को श्री महाराज जी द्वारा रचित भावपूर्ण कीर्तन और विशेष ध्यान तकनीक ‘रूपाध्यान’ के साथ संजोया जाता है।

यह उद्देश्य क्यों चुना गया? संक्षिप्त पृष्ठभूमि

भारत का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत अत्यंत समृद्ध है। विविध दर्शनिक परंपराओं ने हमारे जीवन की समझ को समृद्ध किया है। हालांकि, इन विभिन्न दर्शनशास्त्रों के अनेक मार्ग अक्सर हमें भ्रमित कर देते हैं और हम सोचते हैं कि कौन सा मार्ग अपनाएँ।

जगद्गुरु स्वामी श्री कृपालु जी महाराज ने इन सभी विभिन्न धाराओं का समन्वय किया और हमें एक सरल लेकिन गहन दर्शन प्रदान किया, जो हमारे दैनिक जीवन को सही दिशा में जीने के लिए मार्गदर्शन करता है। यह उनका दर्शन ही है जिसे BGSM अपने वार्षिक साधना शिविर (ASS) के माध्यम से प्रसारित कर रहा है।

भारतवासी होने के नाते हमारे पास जो अमूल्य खजाना है, उसे विश्व के अन्य लोगों के साथ साझा करना आवश्यक है ताकि हर मानव अपने जीवन को अर्थपूर्ण और सार्थक बना सके। इसी उद्देश्य के साथ BGSM लगातार सम्पूर्ण मानवता के लाभ के लिए कार्य कर रहा है।

ASS- संरचना

BGSM पिछले २८ वर्षों से इन शिविरों का आयोजन कर रहा है। पहला शिविर पुरी, ओड़िशा में आयोजित किया गया था, जहाँ भगवान जगन्नाथ निवास करते हैं और इसे भारत के पवित्रतम स्थलों में से एक माना जाता है।

इसके बाद, ये शिविर पूरे भारत में आयोजित किए गए, जैसे:

  • द्वारका (गुजरात)

  • रामेश्वरम (तमिलनाडु)

  • नवद्वीप (पश्चिम बंगाल)

  • हरिद्वार (उत्तराखंड)

  • नासिक (महाराष्ट्र)

  • उज्जैन (मध्य प्रदेश)

आध्यात्मिक महत्व वाले स्थानों का चयन इसलिए किया गया है ताकि प्रतिभागियों को आध्यात्मिक ज्ञान (दर्शन) के साथ-साथ सांस्कृतिक विविधता और इन स्थानों के महत्व की जानकारी भी प्राप्त हो।

शिविर की एक अनोखी विशेषता

इन शिविरों की एक और विशेषता है विशेष ध्यान पद्धति का अभ्यास, जिसे स्वामी श्री कृपालु जी महाराज ने विशेष रूप से सिखाया है। इसे रूपाध्यान साधना कहा जाता है। यह अभ्यास मन और सभी इ

 

न्द्रियों को एक गहन ध्यानात्मक स्थिति में संलग्न करता है, जिससे ध्यान के विषय पर केंद्रित होना आसान हो जाता है और प्रतिभागियों को इस ध्यान से अधिक लाभ प्राप्त होता है।

यह साधना “कर्म-सन्न्यास” का हिस्सा मानी जाती है, जो हमें संसारिक जीवन को त्यागकर अपने अंदर की ओर देखने की शिक्षा देती है, ताकि हम अपने सच्चे स्वरूप – आत्मा के प्रति जागरूक हो सकें। केवल तभी हम अपने संसारिक जीवन में प्रभावी ढंग से कार्य कर पाएंगे और बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।

यह फल की इच्छा रहित कर्म करने की प्रक्रिया ही भगवद गीता में “कर्म-योग” कहलाती है। ASS प्रतिभागियों को आध्यात्मिक और सांसारिक दोनों क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने का अनूठा अवसर प्रदान करता है। दोनों क्षेत्रों में संतुलन बनाना ही हमारे सच्चे लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है, और शिविर हमें यही सिखाने का प्रयास करता है।

शिविर की संरचना

  • शिविर ७ दिनों का होता है, जिसमें सभी दिनों के लिए नियत कार्यक्रम का पालन किया जाता है।

  • सामान्यतः दिन की शुरुआत सुबह ४ बजे होती है और विभिन्न गतिविधियाँ और सत्र रात ९ बजे तक चलते हैं।

  • सुबह और शाम आरती और कीर्तन सत्र आयोजित किए जाते हैं।

  • दार्शनिक प्रवचन पूजनीय देवी जी और पूज्य स्वामी जी द्वारा समझाए जाते हैं।

  • दिनभर विभिन्न सत्रों में योग, रूपाध्यान ध्यान और विशेष ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं।

आइए, हमारे सभ्यता के प्राचीन ज्ञान को जानने और इस मानव जीवन का सर्वोत्तम लाभ उठाने के लिए हमारे साथ जुड़ें। BGSM आपकी मदद करेगा कि आप अपने जीवन में सही संतुलन फिर से पा सकें।

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