समस्तीपुर, बिहार में सनातन ज्ञान का प्रसार (Propagation of Eternal Wisdom - PEW)
- BGSM

- 9 अप्रैल
- 2 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 16 अप्रैल

डॉ. स्वामी युगल शरण जी ने हाल ही में समस्तीपुर, बिहार में अपनी आध्यात्मिक रूप से रूपांतरणकारी प्रवचन श्रृंखला “आनंद ही जीवन का लक्ष्य है” का सफलतापूर्वक समापन किया। इस शीर्षक का अंग्रेज़ी अर्थ है “Bliss is the Only Goal of Life” — वास्तव में, हम जो कुछ भी करते हैं, उसका अंतिम उद्देश्य केवल आनंद की प्राप्ति ही होता है।
हालाँकि, अधिकांश लोग इस आनंद को गलत दिशा में ढूंढ़ते हैं। इसी सच्चे और शाश्वत आनंद की ओर मार्गदर्शन देने हेतु स्वामी जी ने यह 16-दिवसीय प्रवचन श्रृंखला आयोजित की, जिसमें प्रतिदिन 800–1,000 लोग ऑनलाइन और 500–600 लोग ऑफलाइन भाग ले रहे थे।
कार्यक्रम का अवलोकन
इन प्रवचनों के माध्यम से स्वामी जी ने सनातन वैदिक धर्म की शिक्षाओं को प्रस्तुत किया, जो उन्हें उनके दिव्य गुरु, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज (पाँचवें मूल जगद्गुरु) से प्राप्त हुई थीं। स्वामी जी ने समझाया कि कैसे सनातन वैदिक धर्म के सिद्धांतों का पालन करने से आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार के कष्टों से मुक्ति पाकर सच्चे आनंद की प्राप्ति की जा सकती है।
दैनिक प्रवचन
स्वामी जी ने प्रतिदिन दो घंटे के नियमित प्रवचन सत्रों का आयोजन किया, जिनमें वैदिक दर्शन के मूल सिद्धांतों पर गहराई से चर्चा की। इन प्रवचनों में उन्होंने “मैं कौन हूँ?”, “मेरे जीवन का उद्देश्य क्या है?”, “ईश्वर कौन हैं?”, और “सच्चा आनंद क्या है?” जैसे मूलभूत प्रश्नों का समाधान तर्क, स्पष्टता और विश्वास के साथ किया। उन्होंने आध्यात्मिक जगत में विद्यमान विभिन्न विचारों को एक सुसंगत और स्पष्ट दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया।
नियमित साधना सत्र
प्रवचनों में प्राप्त ज्ञान को व्यावहारिक रूप से आत्मसात करने हेतु प्रतिदिन प्रातःकालीन साधना सत्रों का आयोजन किया गया। इन सत्रों में साधकों ने स्वामी जी के मार्गदर्शन में रूपध्यान साधना का अभ्यास किया, जो वैदिक शास्त्रों के अनुसार एक प्रामाणिक ध्यान विधि है। यह साधना हृदय को शुद्ध करती है और ईश्वर के प्रति निःस्वार्थ प्रेम उत्पन्न करती है।
गृह-भेंट
स्वामी जी ने श्रद्धालुओं के आमंत्रण को स्वीकार करते हुए उनके घरों में भी पधार कर उनका आध्यात्मिक मार्गदर्शन किया। इन व्यक्तिगत मुलाकातों में श्रद्धालुओं ने स्वामी जी के साथ अपने अनुभव साझा किए और अपने आध्यात्मिक संदेहों का समाधान प्राप्त किया।
अंतिम दिवस – प्रेम निद्रा
कार्यक्रम का समापन एक विशेष सत्र “प्रेम निद्रा” के साथ हुआ, जो एक उन्नत आध्यात्मिक साधना है। इसमें साधक “भाव देह” के माध्यम से ईश्वर के दिव्य धाम में प्रवेश की अनुभूति करता है। यह सत्र साधकों के लिए अत्यंत गहन और अनुभवपरक रहा।
इन प्रवचनों के माध्यम से स्वामी जी ने जीवन के सच्चे आनंद के अर्थ को समझाने पर विशेष बल दिया। यह श्रृंखला जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से आए लोगों के लिए अत्यंत प्रभावशाली और प्रेरणादायी सिद्ध हुई।
राधे राधे



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