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युवा उत्थान शिविर २०२३

  • लेखक की तस्वीर: Swami Yugal Sharan Ji
    Swami Yugal Sharan Ji
  • 10 अप्रैल
  • 3 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 16 अप्रैल

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२४ से ३० दिसंबर २०२३ तक, भारत के १३ राज्यों से आए २२५ से अधिक युवा ओडिशा के पुरी स्थित जगद्गुरु कृपालु धाम में आयोजित परिवर्तनकारी युवा उत्थान शिविर में एकत्रित हुए। यह मात्र एक शिविर नहीं था, बल्कि एक सुविचारित रूप से संयोजित कार्यक्रम था जो युवाओं के समग्र विकास, आध्यात्मिक जागृति और जीवन के उद्देश्य को प्रकट करने हेतु समर्पित था।


शिविर ने बौद्धिक, आध्यात्मिक और शारीरिक पहलुओं का सूक्ष्म संतुलन बनाए रखा। प्रातः ४:३० बजे भगवान के दर्शन और आरती से दिन की शुरुआत होती थी, तत्पश्चात प्रबोधनकारी प्रवचन सत्र, आत्मचिंतन हेतु रूपध्यान ध्यान, और निःस्वार्थ सेवा हेतु सामूहिक सेवा का आयोजन होता। जोशीले कीर्तन सत्रों से समुदाय की भावना का विकास हुआ।


शारीरिक सुदृढ़ता का पोषण योग और ज़ुम्बा के माध्यम से हुआ, जिन्हें आश्रम के साधक और साधिकाओं द्वारा संचालित किया गया। इंटरएक्टिव कार्यशालाओं में वैदिक गणित और जीवन कौशल जैसे विविध विषयों को शामिल किया गया, जिससे अधिगम एक रोचक अनुभव बन गया। नैतिक शिक्षाएँ हास्य के साथ ओतप्रोत मनमोहक वीडियो शो के माध्यम से सूक्ष्मता से प्रस्तुत की गईं, जिन्होंने प्रतिभागियों को उत्तरदायित्वपूर्ण निर्णय लेने की दिशा में प्रेरित किया।


शिविर का केंद्रबिंदु पूज्यनीय रासेश्वरी देवी जी और स्वामी युगल शरण जी द्वारा संचालित सत्र थे। प्रातः और अपराह्न में उनकी उपस्थिति मधुर कीर्तन, विचारोत्तेजक प्रश्नोत्तर सत्र और निःस्वार्थ प्रेम व मार्गदर्शन से भरपूर व्यक्तिगत संवादों के साथ आई। एक अनूठी समग्र क्विज़ ने प्रतिभागियों को उनकी आध्यात्मिक और भौतिक जीवन में संतुलन हेतु प्रेरित किया। विशेष प्रशिक्षण सत्रों ने सार्वजनिक बोलने के कौशल को निखारा, जिससे वे आत्मविश्वासपूर्वक अपने विचारों और भावनाओं को व्यक्त कर सकें।


शिविर ने पारंपरिक शिक्षा की सीमाओं को पार कर प्रतिभागियों को जगन्नाथ पुरी मंदिर, गोवर्धन मठ, टोटा गोपीनाथ मंदिर, और हरिदास समाधि स्थली जैसे पवित्र स्थलों की यात्राएँ कराईं। इन पावन स्थलों के आध्यात्मिक इतिहास में डूबने के पश्चात अंतिम दिवस का समारोह ब्रज गोपिका धाम में आयोजित हुआ, जिसमें भारत की विविध सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव मनाया गया। राजस्थान, बिहार, बंगाल, दिल्ली, पंजाब, और ओडिशा के नृत्य और संगीत से सजी मनमोहक प्रस्तुतियों ने भारत की समृद्ध संस्कृति और एकता का एक जीवंत चित्र प्रस्तुत किया।


हमारा मुख्य ध्यान केंद्रित रहा:

  • समग्र विकास:

शिविर ने युवाओं की बौद्धिक, आध्यात्मिक और शारीरिक उन्नति पर ध्यान दिया, जिससे वे संतुलित व्यक्तित्व बन सकें।

  • मूल्य आधारित सशक्तिकरण:

प्रतिभागियों ने आवश्यक जीवन कौशल सीखे और उत्तरदायित्व, कृतज्ञता, सेवा, और नैतिक आधार जैसे मूल्यों को अपनाया।

  • एकता और सराहना:

विविध सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों के उत्सव ने राष्ट्रीय एकता और भारत की जीवंत विरासत के प्रति सराहना को प्रेरित किया।

  • व्यक्तिगत विकास:

विशेष प्रशिक्षण सत्रों ने प्रतिभागियों को अपने जीवन की बागडोर संभालने और आत्मविश्वासपूर्वक स्वयं को अभिव्यक्त करने में सक्षम बनाया।

  • सामुदायिक जीवन:

साझा दैनिक जीवन के अनुभवों ने आपसी संबंधों को सुदृढ़ किया, जिससे मानव अनुभव की एकसूत्रता का बोध हुआ।


मुख्य अनुभव:

  • प्रभात की संगीतमय लय

  • आध्यात्मिक प्रवचनों से समृद्धि

  • रूपध्यान ध्यान से आंतरिक शांति

  • सामूहिक सेवा: निःस्वार्थ योगदान का विकास

  • जोशीले कीर्तन सत्रों से समुदाय की भावना


शारीरिक सशक्तिकरण:

  • ऊर्जावान ज़ुम्बा सत्र

  • विविध विषयों पर इंटरएक्टिव कार्यशालाएँ

  • मनोरंजक वीडियो शो के माध्यम से नैतिक शिक्षाएँ


कक्षा से परे:

  • पवित्र स्थलों की यात्राओं से अनुभवपरक अधिगम

  • ब्रह्म गोपिका धाम में भव्य सांस्कृतिक उत्सव


माँ और बाबा की उपस्थिति में:

  • मधुर कीर्तन और विचारोत्तेजक प्रश्नोत्तर सत्र

  • व्यक्तिगत संवाद और निःस्वार्थ मार्गदर्शन

  • समग्र क्विज़ के माध्यम से संतुलन की खोज

  • आत्मविश्वासपूर्ण अभिव्यक्ति हेतु सार्वजनिक भाषण कौशल का संवर्धन




राधे राधे

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