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वार्षिक साधना शिविर 2024 (अयोध्या)

  • लेखक की तस्वीर: Swami Yugal Sharan Ji
    Swami Yugal Sharan Ji
  • 9 अप्रैल
  • 2 मिनट पठन

अपडेट करने की तारीख: 16 अप्रैल



परिचय

सन्यास की परंपरागत परिभाषा संसारिक गतिविधियों का त्याग है, किंतु कर्मयोग में यह एक अद्वितीय रूप में प्रकट होती है। यहाँ आत्मकल्याण का मार्ग अपने कर्तव्यों का निष्काम भाव से पालन करने में निहित है। श्रीमद्भगवद्गीता, जो एक पवित्र हिन्दू ग्रंथ है, कर्मयोग को दिव्य आनंद प्राप्त करने का एक ऐसा मार्ग बताती है, जो संसार पर भी सकारात्मक प्रभाव छोड़ता है।


रूपध्यान साधना: एक शक्तिशाली ध्यान पद्धति

जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज ने कर्मयोग को एक सरल और गहन रूप में प्रस्तुत किया है। रूपध्यान साधना, एक समर्पित ध्यान पद्धति है, जिसमें साधक अपने इष्टदेव के दिव्य स्वरूप, गुणों और लीलाओं पर मन को एकाग्र करता है। यह अंतर्मुखी ध्यान साधक को आध्यात्मिक जगत से जुड़ने की अनुभूति कराता है। निरंतर अभ्यास से मन स्वतः अंतर्मुखी हो जाता है और गुरु तथा भगवान को अपने साथ सदैव उपस्थित देखने लगता है — यही एक सच्चे कर्मयोगी की पहचान है।


२७ वर्षों की परिवर्तनकारी विरासत

१९९६ से, ब्रज गोपिका सेवा मिशन (BGSM) भारतभर में आत्मिक उत्थान हेतु विशेष साधना शिविरों का आयोजन करता आ रहा है। ये गहन अनुभव शिविर (Shivir) भक्ति-संकीर्तन, मार्गदर्शित ध्यान और स्वामी युगल शरण जी एवं पूजनीय रासेश्वरी देवी जी (जिन्हें श्री कृपालु जी महाराज का विशेष सान्निध्य प्राप्त है) के द्वारा प्रवाहित ज्ञान-प्रवचनों के माध्यम से साधकों को आध्यात्मिक रूप से रूपांतरित करते हैं।


अनुभव करें शिविर: आत्म-अन्वेषण का एक सप्ताह

यह वार्षिक शिविर हर वर्ष गर्मियों में किसी पवित्र स्थल पर आयोजित किया जाता है। इस वर्ष का शिविर १ जून से ७ जून २०२४ तक भगवान श्रीराम की पावन नगरी अयोध्या में आयोजित हो रहा है।

यह सात दिवसीय शिविर एक संरचित व आध्यात्मिक रूप से परिवर्तनकारी अनुभव प्रदान करता है। प्रतिभागी दिनभर मौन व्रत (मौन) का पालन करते हैं और आवश्यक संवाद के लिए लिखित माध्यम का उपयोग करते हैं।


शिविर में एक दिन

प्रत्येक दिन प्रातः ४:३० बजे आरंभ होता है और रात्रि ९:०० बजे समाप्त होता है, जिसमें विश्राम और आत्मचिंतन के लिए निर्धारित समय होता है।

  • आरती व संकीर्तन: दिन का आरंभ और समापन भक्ति-रस में डूबे संकीर्तन सत्रों के साथ होता है।

  • तत्त्वज्ञान प्रवचन: स्वामी युगल शरण जी और पूजनीय रासेश्वरी देवी जी के द्वारा सनातन ज्ञान की गहराइयों को समझने का सुअवसर।

  • योग व प्राणायाम: प्रातःकाल योग और श्वसन अभ्यास के माध्यम से शरीर और मन को सशक्त बनाना।

  • रूपध्यान ध्यान-सत्र: दिन भर में अनेक बार ध्यान के माध्यम से अपने ईष्ट से संबंध को गहराई देना।


ब्रज गोपिका सेवा मिशन आपको आमंत्रित करता है कि इस शिविर के माध्यम से प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान को आत्मसात करें, अपने जीवन में संतुलन को पुनः खोजें और अपने आत्मिक मार्ग से जुड़ें। इस परिवर्तनकारी अनुभव को अपनाएँ और अपने जीवन को अर्थ और उद्देश्य से भरें।




राधे राधे


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