नवद्वीप साधना शिविर (एन.एस.एस.) २०२४
- Swami Yugal Sharan Ji
- 10 अप्रैल
- 2 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 16 अप्रैल
नवद्वीप साधना शिविर (एन.एस.एस.) एक वार्षिक आध्यात्मिक शिविर है, जिसका आयोजन स्वामी युगल शरण जी के द्वारा किया जाता है। यह प्रतिवर्ष पश्चिम बंगाल के नवद्वीप स्थित प्राचीन मायापुर के भक्ति धाम में आयोजित होता है (जिसका संचालन ब्रह्म गोपिका सेवा मिशन द्वारा किया जाता है)। एन.एस.एस. उन भक्तों को एक रूपांतरणकारी अनुभव प्रदान करता है जो आध्यात्मिक उन्नति की खोज में लगे रहते हैं। यह शिविर प्रतिवर्ष स्वामी जी के जन्मदिवस के पावन अवसर पर आयोजित किया जाता है।
वर्ष २०२४ में तेईस से छब्बीस फरवरी तक आयोजित हुए एन.एस.एस. में भारतवर्ष के विभिन्न प्रांतों से तीन सौ पचास से अधिक भक्तों ने भाग लिया। इस शिविर में भक्तों की आध्यात्मिक यात्रा को पोषित करने हेतु विविध आयाम सम्मिलित किए गए:
🔸 भक्तिमयी साधनाएँ:प्रातःकालीन प्रार्थना, आरती (पूजन) एवं मन मोह लेने वाले संकीर्तन — इन सबने साधना का मूल केंद्र स्थापित किया।
🔸 सांस्कृतिक अनुरंजन:प्रकाश एवं ध्वनि से सुसज्जित प्रदर्शनियों (एल.ई.डी. कार्यक्रमों) ने विशेष सौंदर्य प्रदान किया, वहीं पारम्परिक सामूहिक प्रसाद (भोज) ने परस्पर प्रेम व समरसता को बढ़ाया।
🔸 आध्यात्मिक महत्त्व:पवित्र गंगा जी पर नौका विहार तथा स्वामी जी के गुरु की साधना स्थली “भजन स्थली” के दर्शन ने इस क्षेत्र की आध्यात्मिक विरासत से भक्तों को गहरे से जोड़ा।
इस साधना शिविर का समापन होली के उल्लासपूर्ण उत्सव के साथ हुआ, जिससे भक्तों के मध्य आनंद एवं भाईचारे की भावना प्रबल हुई। एक विशेष नाट्य प्रस्तुति के माध्यम से भक्ति के महत्व का मार्मिक संदेश दिया गया। इसके पश्चात छब्बीस फरवरी को स्वामी जी के पावन जन्मोत्सव का आयोजन हुआ, जिसके अंतर्गत स्थानीय ग्रामवासियों के लिए दो हज़ार चार सौ से अधिक लोगों को ग्राम्य भंडारा (भोज) कराया गया।
एन.एस.एस. ने निःस्वार्थ सेवा के महत्व को केंद्र में रखा। भक्तों ने मिल-जुलकर समस्त कार्यों का संपादन किया, जिससे एकता, सहयोग और अहंकार-रहित भाव का उदय हुआ। यह दृष्टिकोण सांसारिक वासनाओं से हटकर एक शुद्ध, सेवामयी वातावरण के निर्माण, भूखे-प्यासों की सहायता तथा पर्यावरण संरक्षण की ओर उन्मुख था।
भागी भक्तगण लौटते समय एक नवीन चेतना, संतुलित मनःस्थिति एवं गहन शांति की अनुभूति लेकर गए:
तन के लिए योग,
मन के लिए ध्यान,
बुद्धि के लिए तत्वचिंतन,
एवं
आत्मा के लिए भावपूर्ण अश्रुधारा।
राधे राधे
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